इस तीर्थ में विशालकाय एवं गगनचुम्बी 108 फुट ऊँचे
“श्री आदिनाथ कमलभूषण महाप्रसाद” का निर्माण कार्य चालु है।
तीर्थ क्षेत्र की अन्य इमारतों में मुख्य कार्यालय पेढ़ी जो एडमिन रूम, अकाउंट रूम, इनक़वायरी रूम, कॉन्फ़्रेन्स हॉल, अतिथिभवन जैसी सुविधाओं से सुसज्ज होगा
साधर्मिक बंधुओकी भोजनभक्ति में संपूर्णसज्ज सात्विक भोजनालया भी होंगा
यहाँ निर्मित हो रहे श्री हेमचंद्राचार्य ज्ञान मंदिर व म्यूजियम विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का उपार्जन व ज्ञान का संचार करेगी।
यहाँ चल रही गौशाला का विवरण देना भी अति आवश्यक है। 23 एकरों में फैली यह अत्याधुनिक पांज़रापोल में 3000 से अधिक गायों को रक्षा, सुरक्षा, शाता व सुविधा प्रदान करेगी।
इस तीर्थ में विशालकाय एवं गगनचुम्बी 108 फुट ऊँचे “श्री आदिनाथ कमलभूषण महाप्रसाद” का निर्माण कार्य चालु है। जिनालय में विराजित आदिदेव जी की 85 इंच की विशाल एवं सम्मोहक प्रतिमा सहज ही श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बन जायेगी।
तीर्थ परिसर में देश के विभिन्न स्थानों से आये भक्तों के ठहरने के लिए अरीसा भवन धर्मशाला का निर्माण कराया जा रहा है।
श्रावक एवं श्राविका आराधना भवन जो विराधनाओ से अटककर आराधना का उत्तम अवसर प्रदान करेगी
यहाँ निर्मित हो रहे मेडिटेशन हॉल विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का उपार्जन व ज्ञान का संचार करेगी।
इस भव्य देरासर में श्रद्धालुओं को तारंगाजी देरासर के अति उन्नत शिखर , पालीताणा तीर्थप्रासादकी आंतरिक वास्तु संरचना के साथ ही साथ सौराष्ट्र के धुमली प्रासाद का रंगमंडप , खजुराहो मंदिर स्थित तीन जंधावाला मंडोवर की झांकी एवं अजंता एलोरा की उत्कृष्ट वास्तु में निर्मित गजपीठ की स्मृतियाँ सहज ही सजीव हो जायेगी। प्राचीन वास्तुकला, प्राचीन स्थापत्य शैली एवं देलवाड़ा आबुकी कारविंग शिल्पकला के संगम स्वरुप में निर्मित हो रहे इस पावन तीर्थ में मकराणा के संगेमरमर के सफ़ेद 300 गजराजों की मनोहारी प्रतिमा श्रृंखला अपने कलात्मक निर्माण से आश्चर्यचकित कर देने में सक्षम होंगी।